मेवाड़ का इतिहास ( History of Mewar )

# mewad ka itihas

1. मेवाड़ नाम कैसे पड़ा ?
  How did the name of Mewar?





- मेवाड़ रियासत में वर्तमान समय में चित्तौड़गढ़ , उदयपुर , राजसमंद , भीलवाड़ा व प्रतापगढ़ जिले आते हैं ।
- ऐसा कहा जाता है कि यहां पर शिविजनपद का उदय हुआ था इसकी राजधानी "मध्यमिका" थी जिसे वर्तमान में नगरी (चित्तौड़गढ़ )के नाम से जाना जाता है।

-यहां पर मेव जनजाति पाई जाती थी आता है इस क्षेत्र का नाम मेदपाट पड़ा तथा में मेदपाट से " मेवाड़ " बना ।





- मेवाड़ के शासक अपने आपको हिंदूआ सूरज कहते थे यह विश्व का एकमात्र ऐसा वंश था जिसने एक ही स्थान पर शासन किया।

- यहां पर लगभग 7 सदी के आसपास चित्रांगद मौर्य ने चित्तौड़ के किले का निर्माण करवाया ।

2. मेवाड़ रियासत की स्थापना किसने की ?
Mewad riyasat ki sthapna kisne ki ?

- शिलादित्य एवं पुष्पावती के पुत्र गुहिल के द्वारा मेवाड़ रियासत की स्थापना की गई।
- गोहिल के सिक्के वर्तमान में आगरा संग्रहालय में रखे हुए हैं।
- गुहिल के पुत्र महेंद्रादित्य तथा महेंद्रादित्य के पुत्र कालमोज  ( बप्पारावल) इस वंश के नए शासक बनेते हैं।

-  कालमोज जंगल में बारित ऋषि की गाय चराते थे।
* काल मौज को मेवाड़ रियासत वरदान के रूप में मिली थी। उन्होंने 774 ईसवी में राजमान मौरी को हराकर चित्तौड़गढ़ के किले पर अधिकार किया।
# उन्होंने सर्वप्रथम नागदा (उदयपुर) को अपनी राजधानी बनाया तथा नागदा में अद्भुतनाथ तथा कैलाशपुरी में एकलिंग नाथ जी मंदिर का निर्माण करवाया।

3. मेवाड़ रियासत में सर्वप्रथम सोने के सिक्के किसने चलाए ?
Mewar riyasat mein sarvpratham sone ke sikke kisne chalaye ?
मेवाड़ रियासत में सर्वप्रथम सोने के सिक्के बप्णरावल ने ही चलाई थी ।

4. मेवाड़ रियासत का वास्तविक संस्थापक किसको माना जाता है? 
Mewar riyasat ka vastavik sansthapak kisko mana jata hai ?
 - मेवाड़ रियासत का वास्तविक संस्थापक बप्णरावल को ही माना जाता है ।



 1. नेत्रसिंह (1234 ई०) :-

नेत्र सिंह के समय दिल्ली के साम्राट इल्तुतमिश का आक्रमण होता है इस युद्ध में नेत्रसिंह की विजय होती है
- इस युद्ध में इसकी राजधानी नागदा पूरी तरह नष्ट भ्रष्ट हो जाती है अतः नेत्र सिंह द्वारा नागदा के स्थान पर चित्तौड़ को अपनी नई राजधानी बनाई जाती है इस युद्ध का वर्णन जयसिंह कृत -- हम्मीरमान मर्दन में मिलता है


3. तेजसिंह(1261 ई०):- 

- तेज सिंह के समय 1261 ईस्वी में आहड (उदयपुर) में " श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि" नामक ग्रंथ चित्रित किया गया। 
- जो कि मेवाड़ के इतिहास का पहला चित्रित ग्रंथ था ।
- तेज सिंह के बाद समरसिंह इस वंश के नए शासक बनते हैं समर सिंह के 2 पुत्र थे रतन सिंह , कुंभकरण थे।

- कुंभकरण द्वारा नेपाल में जाकर नए शासक की स्थापना की जाती है तथा रतन सिंह मेवाड़ के शासक बनते हैं




Comments